प्रोटोजोआ का आर्थिक महत्व
Protozoa ka aarthik mahatv
नमस्कार प्रिय
मित्रों,
आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है प्रोटोजोआ का आर्थिक
महत्व क्या है ? प्रोटोजोआ का आर्थिक महत्व को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे-
प्रोटोजोआ का
आर्थिक महत्व (Economic Importance of Protozoa)-प्रोटोजोआ एककोशिकी व सूक्ष्मदर्शीय जन्तु होते हैं जो जल, नम मिट्टी, वायु और अन्य जन्तुओं तथा पौधों के
शरीर में भी पाए जाते हैं। इस प्रगतिशील मानव प्रभावी स्तनी युग (Age of
Mammals) में सामान्यतः ऐसा आभास होता है कि इन
अति सूक्ष्म जन्तुओं का कोई आर्थिक महत्व नहीं है या बहुत कम है। परन्तु Protozoa का सांसारिक मामलों में सामान्य रूप से अनुमान की अपेक्षा कहीं अधिक
प्रभाव है। यद्यपि ये हानिकारक (harmful) और लाभदायक (useful) दोनों ही प्रकार के
होते हैं, तथापि लाभदायक जातियों की अपेक्षा
हानिकारक कम हैं।
(I) लाभदायक Protozoa (Useful Protozoa)
1. स्वच्छता में सहायक (Helpful in sanitation)-
असंख्य प्राणिसमपोषी (holo Zoic) Protozoa विविध प्रकार के जलाशयों में सड़न उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को खाते हैं और इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से जल को शुद्ध करने में सहायक होते हैं। ये 68 श्रीनाथ वन वीक सीरीज Protozoa स्वच्छता बनाए रखकर तथा जल को पीने के लिए उपयुक्त बनाकर आध गुनिक सभ्य जगत् के सुधार में एक महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।
2. प्लवकी Protozoa भोज्य की भाँति (Planktonic protozoa as food)-
समुद्री प्लवक (plankton) के रूप में तैरते हुए Protozoa प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य, मछली एवं अन्य जन्तुओं के लिए भोजन आपूर्ति के स्त्रोत हैं। संसार के महासागरों में मिलने वाली असंख्य एवं जटिल भोजन श्रृंखलाओं में से सबसे पहली कड़ी बनाते हैं। सीपियाँ और शिशु मछलियाँ अधिकतर जलवासी कीटों के लारवों, छोटे-छोटे क्रस्टेशियाई प्राणियों, कृमियों इत्यादि को खाती हैं और ये सब Protozoa प्राणियों को भोजन के रूप में लेते हैं। इस प्रकार Protozoa अप्रत्यक्ष रूप से शिशु मछलियों, सीपियों तथा अन्य जन्तुओं के भोजन बनते हैं, जिनका मनुष्य अपने भोजन के रूप में उपभोग करता है।
3. सहजीवी Protozoa (Symbiotic protozoa)-
कुछ प्रोटोजोअन दूसरे जीवों के साथ सहजीवी रूप में पाए जाते हैं। इस प्रकार का संगठन प्रायः दोनों प्राणियों के लिए लाभदायक होता है। इसमें दोनों प्राणी एक-दूसरे पर इतने निर्भर हो जाते हैं कि वे एक-दूसरे के बिना जीवित नहीं रह सकते और उनके एक-दूसरे से पृथक हो जाने पर दोनों ही मर जाते हैं। कई आंत्रीय फ्लैजिलेट प्राणी जैसे ट्राइकोनिम्का (Trichonympha), कोलोनिम्का (Colonympha), इत्यादि सहजीवियों (symbionts) के जाने पहचाने उदाहरण हैं, जो दीमकों एवं उडरोचों (woodroaches) में पाए जाते हैं। क्लीवलैंड (Cleveland) के अनुसार ये फ्लैजिलैट प्राणी अपने परपोषियों के जीवन के लिए अत्यधिक आवश्यक होते हैं। ये पौधों में पाए जाने वाले सेलुलोज को पचाकर परपोषियों तथा अपने लिए घुलनशील ग्लूकोज में बदल देते हैं।
4. महासागरीय पंक तथा Protozoa जीवाश्म (Oceanic ooze and fossil protozoa)-
5. अध्ययन में Protozoa (Protozoa in study)-
Protozoa संघ के प्रमुख लक्षण
Write Cheif Characters of Phylum-Protozoa. Describe its classification.(1) शरीर छोटा, प्रायः सूक्ष्मदर्शीय (0.001-3.0 मिमी) होते हैं। अतः इन्हें जन्तुक (Animalcule) की संज्ञा दी जाती है।
2 जल, सड़ी-गली वस्तुओं या गीली मिट्टी में स्वतन्त्र-जौयों अथवा कुछ पादपों एवं जन्तुओं के शरीर में परवीवी के रूप में पाये जाते हैं।
3. जन्तुओं में ये सबसे सरल और सबसे आदिम प्रकार के होते हैं।
4. इनका आकार विभिन्न प्रकार का होता है; जैसे-अनियमित, लम्बा, गोल आदि।
5. ये एकल होते हैं अथवा ऐसी शिथिल निवह बनाते हैं जिनमें सभी जन्तुक समान तथा स्वतन्त्र होते हैं।
6. इनका शरीर असममित (asymmetrical) द्विपाय या अरीय सममित होता है।
7. अधिकांश जन्तुओं का शरीर नग्न होता है, कुछ सदस्यों के ऊपर बाह्य कंकाल (exoskeleton) के रूप में पेलिकल, चोल या कवच पाया जाता है।
8. शरीर एककोशिकीय होता है जिसमें एक या अधिक केन्द्रक होते हैं।
9. एककोशिकीय शरीर, जीवन की सभी जैविक क्रियाओं को करता है, इस प्रकार इनमें अधिकोशिकीय कार्यिकी भार विभाजन पाया जाता है।
10. प्रचलन अंगक (Locomotary organelles) तीन प्रकार के अथवा अनुपस्थित होते हैं-अंगुलीनुमा कूटपाद या चाबुकनुमा कशाभ या बालनुमा पक्ष्माभ या कुछ अन्तुओं में इनका अभाव होता है।
11. पोषण विभिन्न प्रकार का होता है। जैसे-आणि---अमपोषी, पादप-समभोजी, गुवोपनीची या परजीवी। इनमें कोशिका मुख व कोशिका गुदा उपस्थित या अनुपस्थित होता है। पाचन क्रिया खाद्यधानियों के अन्दर अन्त कोशिकीय (intracellular) होती है।
12 गैसीय - विनिमय विसरण द्वारा शरीर की सामान्य सतह से होता है ।
13. उत्सर्जन क्रिया संकुचनशील धानियों ( contractile vacuoles ) द्वारा या सामान्य सतह से होती है । ये अमोनिया उत्सर्जी अर्थात् अमोनोटेलिक होते हैं ।
14. अलवणीय जल में पाये जाने वाले जन्तुओं में जल नियमन के लिए संकुचनशील घानियाँ पायी जाती हैं ; जैसे - अमीबा व पेरामिशिमय में संकुचनशील धानियां देनी पायी जाती हैं ।
15. जनन अलैंगिक या लैंगिक प्रकार का होता है अलौगिक जनम - द्वि - विखण्डन या बहु - विखण्डन और मुकुलन द्वारा । लैंगिक जनन वयस्कों में संयुग्मन या युग्मकों के संयोजन द्वारा ।
16. वितरण एवं वातावरणीय दशाओं , जैसे - भोजन , ताप एवं आर्द्रता की प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरश्चा के लिए परिकोष्ठन या पुरीभवन की अधिक क्षमता पायी जाती है ।
17. जीवन - चक्र अधिकांश जन्तुओं में सरल होता है । कुछ जन्तुओं के अलैंगिक तथा लैंगिक पीढ़ियों का एकान्तरण ( alternation of generation ) होता है ।
18. इनमें पुनरुदभवन की क्षमता भी पायी जाती है । इनमें प्राकृतिक मृत्यु नहीं होती है क्योंकि सिर्फ एक कोशिकीय जन्तुक में कायिक प्रद्रव्य ( somatoplasm ) तथा जननिक द्रव्य ( germplasm ) में विधेदन नहीं होता है । अतः इन्हें अमर ( immortal ) मानते हैं ।