कोशिका की संरचना

कोशिका की संरचना

(Structure of Cell) 

कोशिका की संरचना Structure of Cell || कोशिका-द्रव्य cytoplasm || केन्द्रक Nucleus || कोशिका विभाजन तथा संवर्द्धन || कोशिका विभाजन का महत्त्व || कोशिका विभेदीकरण 

    सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोशिका झिल्ली से आवद्ध प्रोटोप्लाज्म दिखलाई देता है। प्रोटोप्लाज्म या जीवद्रव्य जैली जैसा गाढ़ा, तरल, लसलसा और अल्प पारदर्शक पदार्थ होता है। कोशिका के जीवद्रव्य या प्रोटोप्लाज्म को हो कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। साधारण सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोशिका द्रव्य दो भागों में बँटा दिखाई देता है—(i) बाहर का हल्का भाग, (ii) बीच का घना भाग । बाहर के हल्के भाग के ऊपर जो झिल्ली के समान आवरण होता है, उसे कोशिका झिल्ली कहते हैं। कोशिका झिल्ली (Cell membrane or Plasma membrane) और मध्य के गहरे रंग के बीच जीवद्रव्य को कोशिका द्रव्य (cytoplasm) कहते हैं और मध्य के गहरे रंग के बीच जीवद्रव्य को केन्द्रक द्रव्य या न्यूक्लिओ प्लाज्म कहते हैं। केन्द्रक द्रव्य को आबद्ध किए हुए भी एक झिल्ली का आवरण होता है, जिसको केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। केन्द्रक झिल्ली से जुड़ी केन्द्रक द्रव्य को केन्द्रक कहते हैं। इस प्रकार से कोश्किा दो भागों में बँटी होती है
कोशिका की संरचना Structure of Cell || कोशिका-द्रव्य cytoplasm || केन्द्रक Nucleus || कोशिका विभाजन तथा संवर्द्धन || कोशिका विभाजन का महत्त्व || कोशिका विभेदीकरण 

(i) कोशिका-द्रव्य (Cytoplasm)-

    कोशिका-द्रव्य अथवा साइटोप्लाज्म जीवद्रव्य का वह भाग है, जो जीव-कला और केन्द्रक के बीच में भरा रहता है। यह अर्द्ध-तरल होता है एवं इसकी गति को देखा जा सकता है। यह पदार्थ पारदर्शक, रंगहीन, जैली के समान है। इसके अन्दर लवण, वसा, शर्करा, विटामिन्स, कार्बोज इत्यादि होते हैं। कोशिका-द्रव्य, केन्द्रक के आदेशों का कार्यवाहक है। जीवद्रव्य की क्रिया में अनेक विषैले व हानिकारक पदार्थ बनते हैं, जो कोशिका रस में जमा होते हैं। कोशिका-द्रव्य के बाह्य भाग को कोशिका-रस (Ectoplasm) तथा आन्तरिक भाग को अन्त:कोशिका रस (endoplasm) कहते हैं। जब कोशिका में बढ़ोत्तरी होती है तब उसके आन्तरिक कोशिका रस में बहुत से स्थान रिक्त रह जाते हैं, जिनको रसधानी (vacuoles) कहते हैं। रसधानी में एक रंगविहीन कोशिका रस (cell sap) भरा रहता है। कोशिका रस के अन्दर अनेक कार्बनिक अम्ल उदाहरणार्थ नैलिक अम्ल, ऑक्जैलिक अम्ल, अकार्बनिक लवण, नाइट्रेट एवं सल्फेट आदि होते हैं । रसण्धानी के चारों ओर की सतह रसधानी कला कहलाती हैं, जो रसधानी को घेरे हुए होती है। कोशिका रस के अन्दर बहुत-से पदार्थ संग्रहित रहते हैं। इनसे पौधा अपनी रक्षा करता है। पूर्ण विकसित कोशिका का कोशिका द्रव्य (a) हाइलोप्लाज्म (Hyloplasm), (b) रसधानी कला (vacuole membrane) तथा (c) पोलियोप्लाज्म (polioplasm) नामक तीन पर्तों में विभक्त रहता है। पोलियोप्लाज्म पर्त अन्य दोनों पर्तों के बीच में रहती है। ।

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    किसी जन्तु कोशिका को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखने पर उसके आन्तरिक भाग दिखाई पड़ते हैं, जो कि निम्न हैं-

1. एन्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम (Endoplasmic Reticulum) 
2. राइबोसोम (Ribosome) 
3. सेन्ट्रोसोम (Centrosome) 
4. माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) 
5. केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) 
6. गॉल्जी बाडी (Golgi Bodies) 
7. रसधानियाँ (Vacuoles)
8. केन्द्रक (Nucleus) 
9. क्रोमोसोम्स (Chromosomes)| 


कोशिका की संरचना
कोशिका की संरचना


    इनके अतिरिक्त वनस्पति कोशिका में प्लास्ड्सि (Plastids) भी होते हैं। इनके अतिरिक्त जन्तु कोशिका एवं वनस्पति कोशिका में दूसरा प्रमुख भेद है कि वनस्पति कोशिका की कोशिका-झिल्ली के ऊपर सैलोज अथवा पैक्टीन पदार्थ का एक दृढ़ आवरण और होता है, जिसको एन्डोप्लाज्मिक रेटक्यूलम या अन्त: प्रद्रव्यी जलिका कोशिका द्रव्य का परिवहन करती है। अत: यह कोशिका का परिवहन तन्त्र (Circulatory system) होता है और यह नलिकाओं के जाल के रूप में कोशिका के अन्दर फैला रहता

    तारक-केन्द्र अथवा सेण्ट्रोसोम केन्द्रक के निकट होते हैं। यह जन्तु कोशिका का महत्त्वपूर्ण लक्षण है तथा केवल जन्तु-कोशिकाओं में ही मिलता है। इसे सामान्य अवस्था में नहीं देख सकते एवं केवल कोशिका-विभाजन के समय दिखाई पड़ता है। इसके अन्दर प्राय: एक अथवा दो कण (Granules) होते हैं, जिनको तारक-केन्द्र अथवा सेण्ट्रिओल (centriol) कहते हैं। जन्तु-कोशिका में कोशिका-विभाजन के समय तारक केन्द्र या सेण्ट्रिओल कोशिका के ध्रुव का निर्धारण करते हैं। गॉल्जी-काय में वसीय तरल पदार्थों में भरी थैलियों जैसी संरचनाएँ पायी जाती है। राइबोसोम्स गोलाकार होते हैं तथा प्राय: एण्डोप्लाज्मिक रेटीक्यूलम एवं केन्द्रक-झिल्ली की बाहरी सतह से चिपके रहते हैं, ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं, माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका की शक्ति (ऊर्जा) के केन्द्र हैं एवं यही जीव को अपने जैविक कार्यों को पूरा करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं, यह गोलाकार, छड़ के आकार के या नाव की आकृति के होते हैं। यह एक कोशिका में डेढ़ लाख के लगभग हो सकते हैं। लाइसोसोम्स भी राइबोसोम्स की तरह गोलाकार थैली जैसी रचनाएँ हैं।
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(ii) केन्द्रक (Nucleus) 

कोशिका के कोशिका द्रव्य के मध्य भाग के अन्दर या किनारे की ओर गोले के समान रचना को नाभिक या केन्द्रक कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है। केन्द्र के चारों ओर एक झिल्ली पायी जाती है, जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। केन्द्रक के अन्दर एक रंगहीन पदार्थ भरा रहता है, जिसे केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) कहते हैं। यह एक प्रकार की प्रोटीन होती है, जिसे क्रोमेटिन कहते हैं। कोशिका विभाजन के समय क्रोमोसोम्स (Chromosomes) या गुणसूत्र कहते हैं। क्रोमेटिन (Nucleoproteins) न्यूक्लिओ प्रोटीन्स के बने होते हैं। न्यूक्लिओ प्रोटीन्स न्यूक्लिक अम्ल व प्रोटीन के बने होते हैं। न्यूक्लिक अम्ल दो प्रकार के होते हैं

1. डिऑक्सी रिबोन्यूक्लिक अम्ल।

2. रिबोन्यूक्लिक अम्ल।

प्रथम प्रकार के अम्ल DNA नामक क्रोमेटिन में होता है और तथा दूसरे प्रकार का अम्ल RNA में होता है।
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    अधिकांश कोशिकाओं में एक ही केन्द्रक पाया जाता है। ऐसी कोशिकाओं को एक केन्द्रकीय कोशिका (Uninucleate cell) कहते हैं तथा वे कोशिकाएँ जिनमें दो केन्द्रक होते हैं, उन्हें (Binucleate Cell) द्विकेन्द्रीय कोशिका कहते हैं। कुछ कोशिकाओं में दो से अधिक केन्द्रक होते हैं। उन्हें बहुकेन्द्रकीय कोशिका (Multinucleate Cell) कहते हैं। केन्द्रक के एक ओर छोटी गोल रचना होती है, जिसे अनुकेन्द्रक (Nucloeoti) कहते हैं।
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कोशिका विभाजन तथा संवर्द्धन 

    मानव शरीर अनेक कोशिकाओं का बना होता है, परन्तु मानव शरीर का प्रारम्भ एक कोशिका (single cell) से होता है तथा कोशिका को बार-बार विभाजित करने के बाद ही वह बहुकोशिकीय जन्तु अथवा प्राणी का रूप धारण कर सकता है। कोशिका विभाजन में केन्द्रक प्रमुख भाग लेता है तथा कोशिका विभाजन

कोशिका विभाजन
कोशिका विभाजन
का प्रारम्भ केन्द्रक से ही होता है। इसे कैरियोकाइनेसिस, (Karyokinesis) कहते हैं अर्थात् दूसरे शब्दों में सबसे प्रथम कोशिका का केन्द्रक विभाजित होकर दो केन्द्रक बनाता है तथा इसके बाद कोशिका का कोशिकाद्रव्य अथवा साइटोप्लाज्म दो भागों में बँट जाता है। ये साइटोकाइनेसिस (Cytokinesis) कहलाता है। इसके बीच में खाँच पैदा हो जाती है, जो गहरी बनती चली जाती है तथा एक कोशिका झिल्ली पूर्ण होती हैं और दोनों कोशिकाओं में क्रोमोसोम्स अथवा गुणसूत्र की संख्या बराबर एवं मातृ कोशिका के समान होती है या प्रत्येक कोशिका विभाजन द्वारा अपने ही समान गुण तथा लक्षणों से युक्त दो कोशिकाओं को पैदा करती है तथा इस प्रकार यह कोशिका विभाजन होता रहता है।

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कोशिका विभाजन का महत्त्व—

    कोशिका विभाजन का महत्त्व निम्न है 
1. कोशिका विभाजन व गुणन-क्रिया द्वारा शरीर अपना विकास और परिवर्धन करता है।
2. कोशिका विभाजन द्वारा शरीर अपनी टूट-फूट की मरम्मत करता है। 
3. कोशिका विभाजन द्वारा ही जीव अपने पैतृक गुणों को प्राप्त करता है।

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कोशिका विभेदीकरण 

    कोशिका विभाजन एवं गुणन क्रिया में कोशिका विभेदीकरण भी जुड़ा है। उदाहरण के लिए, कोशिकाएँ विभिन्न आकृति तथा आकार की होती हैं। कोशिकाओं की आकृति एवं आकार में यह विभेदीकरण उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप कोशिका विभाजन में ही हो जाता है तथा वे अपने विशेष कार्य को पूरा करने के लिए उसी के अनुसार अपना रूप बदल लेती हैं।
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Kkr Kishan Regar

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